कुण्डलिया -
बेटी घर का मान है , बेटी है अभिमान ।
बेटी जिनके घर बसे ,घर वह स्वर्ग समान ।
घर वह स्वर्ग समान , जहाँ नारी की पूजा ।
कन्या देवी जान , पावन न कोई दूजा ।
कह दीक्षा करजोरि , धन विद्या की है चेटी ।
पुण्य कर्म प्रभाव से, मिलती है हमें बेटी ।
स्वरचित - डॉ. दीक्षा चौबे
दुर्ग , छत्तीसगढ़
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